मन कर्म वाचा शुद्ध कर, नर कामना जो चाहत है..
पूरे जो आशा वायुसुत, ऐसा ही सामर्थ नाथ है..
श्री बालाजी महाराज का मन वचन कर्म से ध्यान किया जाए तो सभी प्रकार की आशाएँ व कामनाएँ बालाजी महाराज पुरी कर देते है..
हित-चित मन से और विधि से पूजन रचे वो पुजारी है..
जय श्री बालाजी की